Wednesday, 4 October 2017

लाइफ मंत्रा: अपने आप मे शल्य नही जामवंत जगाइए

लाइफ मंत्रा: अपने आप मे 'शल्य' नही जामवंत जगाइए,

कल एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी जी ने gst के समर्थन में अपना पक्ष रखा और इसकर विरोधियों की तुलना महाभारत के एक चरित्र'शल्य' से की,शल्य महाभारत युद्ध मे दानवीर कर्ण के सारथी थे,ये उनकी आदत थी कि वो हमेशा विरोधियों (अर्जुन एवं पांडव)की ताकत को बहुत बड़ा चढ़ा कर पेश करते थे,और अपनी(कर्ण) की किसी भी गलती को बहुत गंभीरता से महिमामंडित करते थे,कर्ण का अगर एक तीर खाली चले जाता था तो वे इसे हार का सूचक बताते थे,कहने का मतलब ये है कि वो इस तरह की बाते करते थे जो किसी भी व्यक्ति का आत्मविश्वास हिला देती थी,प्रधान मंत्री में gst के बाद मची अफरातफरी के बाद इस के विरोध में प्रतिक्रिया देने वालो को शल्य कहा हैक्योकि ये उनव्हिजोंको भी महिमामंडित कर के बखान कर रहे है जो हुई ही नही,कुल मिलाकर वो आम जनता से मोदी सकार के प्रति विश्वाश भंग करने का कार्य कर रहे है,

उन्होंने अपने भाषण में इसी बात को और विस्तृत रूप से समझाते हुए कहा कि "शल्य" सिर्फ एक चरित्र नही एक प्रकृति है स्वभाव है,और उन्होंने ये बाते राजनीतिक परिचर्चा के रूप में कंही उसी बात को मैं जीवन के प्रबंधन के रूप में कहना चाहता हु की असल जिंदगी में भी हम अपने भीतर कई " शल्य" ले कर बैठे है जो हर काम के लिए हमे हतोत्साहित करता है,डराता है,संमस्याओ को बड़ा करके दिखाता है,विरोधियों को हम पर हावी करता है,जबकि ऐसा कुछ नही है,हमारे विरोधी सिर्फ उतने ही मजबूत है जितने हम सोचते है,और उनका मजबूत आ कमजोर होना इतना माययने नही रखता माय ने ये रखता है कि हम किसी आत्मविश्वास से उनसे लड़े, ये  विरोधी कोई आदमी ही नही हमारे गलत विचार,हमारी बुरी आदतें ,हमारा गलत स्वभाव ,हमारी अदूरदर्शिता भी हो सकता है,अकसर किसी बुरी आदत  से छोड़ने की कोशिश करने से पहले ही हम सोच लेते है कि हम ये आदत नही छोड़ पाएंगे,अक्सर किसी काम को करने से पहले हम ये सोच लेते है कि ये मुश्किल है हम नही कर पाएंगे,अक्सर संयश और भय के बादल हमारे कार्यशक्ति की रोशनी को रोके सकते है,एक कहावत है कि "अगर आप लड़ते है तो शायद हार जाए मगर आप नही लड़ते तो आपने हार मान ही ली है"

हमारे भीतर जो " शल्य" होता है वो हमको लड़ने से रोकता है,ये डर दिखा के की अगर हम लड़े तो हमे हारना का खतरा है,और इस इस डर में हम अक्सर ये भूल जाते है कि अगर हम न लड़े तो हार स्वीकार करते है,जहाज को जंग लगने का सबसे ज्यादा खतरा पानी से होता है लेकिन वो किनारे में खड़े होने के लिए नही लहरों का सीना चीर कर आगे बढ़ने के लिए बनाए गए है,जंग लगकर खराब होंना खड़े खड़े ऐसे ही कबाड़ बन जाने से कंही ज्यादा बेहतर है,

आप इंसान है और अगर आप भगवान में विश्वास करते है तो इस बात कर भी यकीन रखिये की भगवान ने आपको किसी उद्देश्य से ही यहां भेजा है,उसे पूरा करने के लिए प्रयास कीजिये, कई बातें आपको रोकेंगी,आपका हौसला कम करेगी लेकिन आप रुकने के लिए नही काम करने में विश्वास रखिये,अपने मन के "शल्य" को मारिये और जामवंत पैदा कीजिये,

जामवंत ,रामायण का एक चरित्र है जो हनुमान जी को उनकी शक्ति याद करवाता है जिसके बाद हनुमान जी 100 योजन के समुद्र को आसानी से पार कर लंका दहन कर के वापस लौटते है,अक्सर हम अपने मन मे शल्य को तो स्थान दे देते है लेकिन जामवंत को नही,अपने खूबियों को पहचननिये क्योकि आप इतने भाग्यशाली नही की जीवन के हर क्षेत्र में कोई जामवंत हर बार आपका आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ाने को आपके साथ रहे, अपने लिए जामवंत खुद बनिये,
"शल्य" प्रवृति से छुटकारे पाइये "जामवंत " प्रवृति को अपनाइये,
शिकायते नही कोशिश कीजिये,
आसान कुछ भी नही gst हो या जिंदगी,मगर बस एक बार समझने की देर है और फिर कुछ भी मुस्किल नही

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