शास्त्रीय ज्ञान बनाम व्यवहारिक सत्य,
भारत आध्यत्मिक मान्यताओं का देश है,इस की संनातन संस्कृति में अनेकों वेद,ग्रन्थ और शास्त्र लिखे गए है जो की सदियों से हमारे जीवन का आधार रहे है, पौराणिक काल से ही चाहे गीता का सार हो या वैदिक ज्ञान हमें एक सफल और आदर्श जीवन के लिए प्रेरित करता रहा है, मगर क्योकि समय परिवर्तन शील है तो इस वैदिक ज्ञान के सामने समाज के कई उदाहरणों में चाणक्य का राजनितिक ज्ञान या इसी तरह की व्यवहारिक ज्ञान भारी पड़ता नजर आता है,
साधारणतः हम सभी यही मानते है कि शास्त्रों में लिखा गया अक्षरसः सत्य है,मगर इसमें से हम सिर्फ उतना ही पालन करते है जितना पालन करने में हमें असुविधा न् हो,इस परस्पर विरोधाभास के कारण मुझे महसूस हुआ की आज कल कुछ मान्यताएं बदल गई है, किताबो का ज्ञान सत्य के धरातल पर झूठा साबित हो रहा है ऐसे ही कुछ मान्यताओं के मानने में कैसे लोगो की सोच बदली है उस को आप के सामने रख रहा हु, मैंने कुछ सनातन सत्य और उनके व्यवहारिकता का विश्लेषण किया है,
सनातन सत्य बनाम व्यवहारिकता,
सदा सच बोलो- समय देखकर सच बोलो,सच कड़वा होता है,लोग कड़वे सच से ज्यादा मीठा झूठ सुनना पसंद करते है,जिस झूठ से किसी का फायदा होता हो उसे बोलने में कोई हर्ज नहीं,
ईमानदार बनो- सिर्फ इतने ईमानदार बनो की जितने में आप बेईमान नजर ना आओ,
कर्म करो फल की इच्छा मत करो- जब तक फल न् मिले कर्म को कोई आदर नहीं करता, भगवान आपको आपके प्रयासों से मान देता है दुनिया आपको आपके नतीजे से पहचानती है,
विद्वान सर्वत्र पूज्यते- धन आपको जितना मान दिलाता है उतना मान कोई नहीं दिला सकता, भले ही वो क्षणिक हो,हर कोई आपसे इसलिए जुड़ना चाहता है कि आपसे कुछ लाभ ले सके,
दोस्ती में सब बराबर होते है- दोस्ती में समय, मौक़ा, सामर्थ्य ओहदा और काबिलियत देखकर सबको अलग अलग मान ढिया जाता है,
नियम सबके लिए बराबर होते है -नियम तोड़ने के लिए ही बनाये जाते है, नियम चेहरा देखकर बदलते है, मुह देखकर टीका किया जाता है,
संमाजिक चुनाव संमाजिक तरीके से लडे जाने चाहिए- प्यार,युद्ध और चुनाव में सभी कुछ जायज है,जीत किसी भी तरह हो जीत होती है,
पैसा भगवान् नहीं है - पैसा भगवन से कम भी नहीं है, आप पैसे को हर जगह साथ नहीं ले जा सकते मगर कई ऐसी जगह है जहां सिर्फ पैसा आपको अपने साथ ले जा सकता है,
प्यार का मापदंड त्याग है,- प्यार का मापदंड स्वार्थ है जिसके लिए आप जितने फायदेमंद हो वो आपसे उतना प्यार करता है,
आपकी वास्तविक सुंदरता आपका तन नही आपका मन है - आपकी शारीरिक सुंदरता आपकी मानसिक सुंदरता से ज्यादा मायने रखती है क्योंकि दुनिया में ज्यादातर लोग मुर्ख है अंधे नहीं,
आप प्यार से किसी को भी सुधार सकते है- व्यक्ति सिर्फ डर से सुधरता है वरना हम सिर्फ ये नाटक करते है कि हम सुधर जाएग
नेकी कर दरिया में डाल- कुछ भी कर फेसबुक में डाल,अपने कार्य का प्रचार करे
संमाजिक कार्य मन की संतुष्टि के लिए किये जाते है,- संमाजिक कार्य अपने अहम की संतुष्टि के लिए किये जाते है,
हम धार्मिक है हम भगवान् से प्रेम करते है,- हम अन्धविश्वासी है हम भगवान् से डरते है,
धीरे बोलो,मीठा बोलो-- जोर से बोलकर अपने झूठ को भी सच साबित किया जा सकता है,
सबका संम्मान करे- किसी का सिर्फ इतना ही सम्मान करे की स्वयं का संम्मान कम् न् हो
व्यसन एक संमाजिक बुराई है,- व्यसन अपने साथ लोगो को बहुत जल्द और बहुत दृढ ढंग से जोड़ने का एक जरिया है,
सफलता का रहस्य मेहनत और लगन है- सफलता का रहस्य जुगाड़ है,
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