Monday, 5 December 2016

अम्मा का निधन- तामिलनाडु के एक युग का अंत

अम्मा  का निधन - तमिलनाडु के लिए एक युग का अंत

कल दिन भर अगर कोई खबर सुर्खियों में रही तो वो तामिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के स्वास्थ्य की खबर थी,जिसको ले कर बहुत कयास लगाए जा रहे थे,अपने खराब स्वास्थ्य के चलते वो कई दिनों से बीमार थी और उनकी हालात गंभीर बनी हुई थी,एक मुख्यमंत्री का गंभीर तौर पर बीमार होना और और दिल का।दौरा पढ़ना एक ब्रेकिंग न्यूज़ होती है ,मगर जिस तरह सभी टीवी चैनलों में पल पल की खबर चलाइ जा रही थी, वो जयललिता के कद को बताने के लिए काफी है,

तामिलनाडु वो राज्य है जहां के लोग किसी भी चीज के लिए दीवानगी की हद तक पागल है,एक अच्छी साक्षरता दर के बावजुद वहां व्यक्ति को भगवान् की हद तक पूजा जाता है,चाहें एनटीआर हो,रजनीकांत हो,या अभिनेत्री खुशबु जिनको तामिलनाडु के बाहर कोई ठीक से जानता भी नहीं मगर तामिलनाडु में बाकायदा इनके मंदिर है, तामिलनाडु वो राज्य है जहां आम जनता काफी हद तक फ़िल्मी पात्रों से प्रेरित है, एक ऐसा राज्य जहा जो अपनी राज्य और राज्यभाषा के प्रति इतना समर्पित है कि वहां अक्सर लिखा हुआ होता है,की " भगवान् को भी तामिलनाडु छोड़ देना चाहिए अगर उन्हें तमिल नहीं आती है," देश में साम्प्रदायिक कट्टरता की तरह तामिलनाडु में भाषाई कट्टरता है, हर क्ष्रेत्र में तामिलनाडु में अतिवाद है,जो भी कार्य करते है हद तक करते है, उस प्रदेश में लोग किसी भी चीज या व्यक्ति से दिल से सोचते है दिमाग से नहीं,

मोदी लहर के बाद भी भाजपा तामिलनाडु में साधारण प्रदेर्शन कर सकी तो इसका एक कारण जयललिता थी, एक अभिनेत्री से प्रदेश की सर्वेसर्वा तक उन्हकी बनाने की कहानी उनकी रील लाइफ की तरह काम ड्रामेटिक नहीं थी, उनकी प्रसिद्धि इतनी थी की वो एक नाम नहीं एक ब्रांड थी, उनकी मौत का आधिकारिक समय कल रात 11:30 बजे का बताया जा रहा है जबको कई तव् चैनलों में इसकी 6 बजे खबर आ गई थी, ये एक ओपन सीक्रेट की तरह था,इस खबर को सिर्फ इसलिए छुपाया गया,ताकि लोगो की भावनाएं आहत न् हो,और भड़के न, और सरकार इस खबर को देर से प्रसारित कर अपनी व्यवस्था बनाने के लिए समय बना ले,

कोई शख्शियत अगर इतनी बड़ी है कि उसके अनिष्ट की आशंका से दंगे जैसे हालात है तो निश्चय ही उसमे कोई बात रही होगी, तामिलनाडु में एक बार फिर से ऐन टी आर के इतिहास की पुनरावृत्ति हुई है,तामिलनाडु का इतिहास हमेशा फिल्मप्रेरीत रहा है, और वह की राजनीती भी इससे अछूती नहीं रही है, एन टी आर ने एक फिल्म में राम की भूमिका निभाई तो उन्हें राम मानकर पूजा जाने लगा, और जब वो राजनीती में आये तो जनता ने उन्हें रामराज्य की परिकल्पना में हाथो हाथ लिया, मगर जयललिता के प्रति लोगों की दीवानगी इस लिए भी मायने रखती है क्योकी इन टी आर और जयललिता के शासन काल में 30 वर्र्षो का अंतर है और पीढियां काफी कुछ बुध्दिजीवी हुई है इस 3 दशकों में, और अभी भी अगर जयललिता के लिए लोगो में इतनी हद दीवानगी है,तो उनकी बुलंद शख्शियत की देन है,

उनको भावभीनी  श्रद्धांजली,

तामिलनाडु में एक ब्रांड का अंत हुआ,अब देखना ये है कि तामिलनाडु की जनता aiadmk को पसंद करती थी या सिर्फ जयललिता को, ?? भविष्य ही इन प्रश्नों का उत्तर ले कर आएगा,!!

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