मंच से जुड़े सभी युवाओ की जानकारी के लिए एक लेख प्रस्तुत है,
हम सब मंच से जुड़े है और लागातार कार्यक्रम करते है इसमें स्टेज के कार्यक्रम भी होते है,और अतिथि भी आते रहते है,ऐसे में ये लेख आपको मंच संबंधी प्रोटोकोल और ओपचारिक्ताये समझाने के लिए लिखा गया है,
स्टैज हमेशा एक विशिष्ट उचाई के साथ अपेक्षित भीड़ को ध्यान में रख कर बनाया जाये, साधारणतः 2 फ़ीट की ऊंचाई आदर्श है,अगर भीड़ ज्यादा होने की संभावना है तो दूर वाले दर्शको इसे आसानी से देख सके इसलिए इसकी ऊंचाई सुविधानुसार बधाई जा सकती है,
स्टेज हमेशा आयताकार होना होना चाहिए,
स्टेज में कुर्सियो,सामने मेज,के बिच और आगे पीछे एक अच्छा गेप होना चाहिए ताकि आने जाने में सुविधा हो,
मंच संचालक की कुर्सी सभी कुर्सियो से अलग स्टेज के किनारे लगाईं जाती है
साधारणतःस्टेज में कुर्सिया ओड संख्या में लगाईं जाती है जैसे 5,7, इत्यादि,
स्टेज में किसी भी संस्था के शाखा अध्यक्ष,सचिव,कार्यक्रम संयोजक, कोई प्रान्त,राष्ट्र के पदाधिकारी,विशिष्ट अतिथि और सबसे अंतिम में मुख्य अतिथि को मंचासीन करने के लिए आमन्त्रित किया जाता है,
मुख्य अतिथि को सबके बिच में बैठाया जाता है,
और उनका सम्मानं पुष्प गुच्छ/बेच/शाल इत्यादि ठीक इसके उलटे क्रम में किया जाता है,मतलब पहले मुख्य अतिथि,विशिष्ट अतिथि इत्यादि...
कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रवल्लित कर,भगवान की आराधना कर किया जाना चाहिए,
भाषण मंचासीन कराने के क्रम में कराया जता है ,सबसे अंतिम में मुख्य अतिथि का भासन होता है,
कोई भी पुरूस्कार,/पारितोषक भासन के बाद दिया जाता है,
सारे कार्यक्रमों के बाद एक आभार प्रदर्शन किया जाना चाहिए(साधारणतः सचिव के द्वारा)
कार्यक्रम की समाप्ति राष्ट गान में साथ की जानी चाहिए,
प्रोटिकल और औपचारिकता के साथ किये गए आयोजन आपकी गरिमा बढ़ाते है,
सुविधा और जरूरत के अनुसार इनमे आवस्यक परिवर्तन किया जा सकता है,
मंचहित में युवाओ के ज्ञानवर्धन के लिए जारी
विकाश खेमका
उपाध्यक्ष
कांटाबांजी शाखा,
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आपके अमूल्य राय के लिए धन्यवाद,