Tuesday, 23 October 2018

लाइफ मंत्रा- एक पल में हालात बदल जाते है,निराश मत होइए

लाइफ मंत्रा- एक पल में हालात बदल जाते है,निराश मत होइए,

आप सभी व्हात्सप्प के कई ग्रुप में होंगे ,कई बार आपने ग्रुप की डिटेल देखि होगी और नोट किया होगा की हर व्हासप्प ग्रुप में आपका आपका नाम सबसे निचे होता था, मगर व्हात्सप्प के  नए अपडेट में अब आपका नाम सबसे ऊपर आता है,एक छोटे से तकनिकी परिवर्तन ने आपको सबसे निचे से उठाकर सबसे ऊपर बैठा दिया,

हमारी जिंदगी में भी काफी कुछ ऐसा ही है,कई लोग जिन्हे हम महत्व नहीं देते जिन्हे हम ओछा या छोटा समझते है कब समय का एक छोटा सा चक्र उन्हें सफलता की बुलंदियों पर पहुचा देगा पता नहीं चलता,हमें अक्सर अपने आप पर,अपनी प्रतिभा पर,अपने ओहदे पर,अपने सामाजिक प्रतिस्ठा पर, बड़ा गुमान होता है,और इसके भरम में हम अक्सर अपनो से छोटे लोगो के साथ गलत व्यवहार करते है,उन्हें हिन् भावना से देखते है,

अक्सर "दूर" से या "गुरुर" से देखने पर चीजे छोटी नजर आती है, हम ये भूल जाते है कि हर हीरा पहले कोयला ही होता है,जिंदगी एक फ्लैग मार्च की तरह ही है जहां एक बार "पीछे मुड़" बोलते है सबसे आगे वाला इंसान सबसे पीछे और सबसे पीछे वाला इंसान सबसे आगे हो  जाता है,

यहाँ एक और बात भी गौर करने की है कि कभी भी किसी परिस्थिति में अपने आप को छोटा या कम मत समझिये क्या पता समय कब आपकी जिंदगी में पीछे मुड़ कह दे,अपनी उम्मीद कायम रखीये,

जब समय खराब हो हो धैर्य रखिये,जब समय अच्छा हो तो लोगों से समानुभूति रखिये,कोई भी कभी हमेशा के लिए बड़ा या छोटा नहीं होता, वैसे भी शतरंज का खेल खत्म होने के बाद राजा और प्यादे को एक डब्बे में रख दिया जाता है,

एक बात और मुझे पता है इसको पढ़ने के बाद आप अपना व्हात्सप्प ग्रुप अवश्य चेक करेंगे,या ऐसा करने की सोच रहे है,अब आप मुस्कुरा रहे है कि अरे यार इसको कैसे पता चला, बस ऐसे ही मुस्कुराते रहिये..

लाइफ मंत्रा- गलति कहा हुई,बच्चो को सफल बनने के साथ साथ असफलता झेलने की भी ट्रेनिंग दीजिये

गड़बड़ कहाँ हुई

एक बहुत ब्रिलियंट लड़का था. सारी जिंदगी फर्स्ट आया. साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया. अब ऐसे लड़के आम तौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन IIT चेन्नई में हो गया. वहां से B Tech किया और वहां से आगे पढने अमेरिका चला गया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निया से MBA किया.

अब इतना पढने के बाद तो वहां अच्छी नौकरी मिल ही जाती है. उसने वहां भी हमेशा टॉप ही किया. वहीं नौकरी करने लगा. 5 बेडरूम का घर  उसके पास. शादी यहाँ चेन्नई की ही एक बेहद खूबसूरत लड़की से हुई .

एक आदमी और क्या मांग सकता है अपने जीवन में ? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए, अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी बच्चे, सुख ही सुख।

लेकिन दुर्भाग्य वश आज से चार साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली. अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मार कर खुद को भी गोली मार ली. What went wrong? आखिर ऐसा क्या हुआ, गड़बड़ कहाँ हुई.

ये कदम उठाने से पहले उसने बाकायदा अपनी wife से discuss किया, फिर एक लम्बा suicide नोट लिखा और उसमें बाकायदा अपने इस कदम को justify किया और यहाँ तक लिखा कि यही सबसे श्रेष्ठ रास्ता था इन परिस्थितयों में. उनके इस केस को और उस suicide नोट को California Institute of Clinical Psychology ने ‘What went wrong?‘ जानने के लिए study किया .

पहले कारण क्या था , suicide नोट से और मित्रों से पता किया। अमेरिका की आर्थिक मंदी में उसकी नौकरी चली गयी. बहुत दिन खाली बैठे रहे. नौकरियां ढूंढते रहे. फिर अपनी तनख्वाह कम करते गए और फिर भी जब नौकरी न मिली, मकान की किश्त जब टूट गयी, तो सड़क पर आने की नौबत आ गयी. कुछ दिन किसी पेट्रोल पम्प पर तेल भरा बताते हैं. साल भर ये सब बर्दाश्त किया और फिर पति पत्नी ने अंत में ख़ुदकुशी कर ली...

इस case study को ऐसे conclude किया है experts ने : This man was programmed for success but he was not trained,how to handle failure. यह व्यक्ति सफलता के लिए तो तैयार था, पर इसे जीवन में ये नहीं सिखाया गया कि असफलता का सामना कैसे किया जाए.

अब उसके जीवन पर शुरू से नज़र डालते हैं. पढने में बहुत तेज़ था, हमेशा फर्स्ट ही आया. ऐसे बहुत से Parents को मैं जानता हूँ जो यही चाहते हैं कि बस उनका बच्चा हमेशा फर्स्ट ही आये, कोई गलती न हो उस से. गलती करना तो यूँ मानो कोई बहुत बड़ा पाप कर दिया और इसके लिए वो सब कुछ करते हैं, हमेशा फर्स्ट आने के लिए. फिर ऐसे बच्चे चूंकि पढ़ाकू कुछ ज्यादा होते हैं सो खेल कूद, घूमना फिरना, लड़ाई झगडा, मार पीट, ऐसे पंगों का मौका कम मिलता है बेचारों को,12 th कर के निकले तो इंजीनियरिंग कॉलेज का बोझ लद गया बेचारे पर, वहां से निकले तो MBA और अभी पढ़ ही रहे थे की मोटी तनख्वाह की नौकरी. अब मोटी तनख्वाह तो बड़ी जिम्मेवारी, यानी बड़े बड़े targets.
.
कमबख्त ये दुनिया , बड़ी कठोर है और ये ज़िदगी, अलग से इम्तहान लेती है. आपकी कॉलेज की डिग्री और मार्कशीट से कोई मतलब नहीं उसे. वहां कितने नंबर लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. ये ज़िदगी अपना अलग question paper सेट करती है. और सवाल ,सब out ऑफ़ syllabus होते हैं, टेढ़े मेढ़े, ऊट पटाँग और रोज़ इम्तहान लेती है. कोई डेट sheet नहीं.
.
एक अंग्रेजी उपन्यास में एक किस्सा पढ़ा था. एक मेमना अपनी माँ से दूर निकल गया. आगे जा कर पहले तो भैंसों के झुण्ड से घिर गया. उनके पैरों तले कुचले जाने से बचा किसी तरह. अभी थोडा ही आगे बढ़ा था कि एक सियार उसकी तरफ झपटा. किसी तरह झाड़ियों में घुस के जान बचाई तो सामने से भेड़िये आते दिखे. बहुत देर वहीं झाड़ियों में दुबका रहा, किसी तरह माँ के पास वापस पहुंचा तो बोला, माँ, वहां तो बहुत खतरनाक जंगल है. Mom, there is a jungle out there.
.
*इस खतरनाक जंगल में जिंदा बचे रहने की ट्रेनिंग बच्चों को अवश्य दीजिये*.।
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी देना जरूरी है  ,हर परिस्थिति को ख़ुशी ख़ुशी धैर्य के साथ झेलने की क्षमता, और उससे उबरने का ज्ञान और विवेक बच्चों में होना ज़रूरी है।माता पिता सफल जीवन के लिए तितिक्षा की शिक्षा अवश्य दें ।

Monday, 1 October 2018

गांधी जयंती

सभी अंध और मजबूर गांधीवादियों से खेद सहित
गांधी जयंती पर विशेष कविता

महात्मा गांधी जब तक जीवित थे तब तक स्वयं सियासत थे और मरने के बाद एक सियासत का मुद्दा है, ये हर भारतीय राजनितज्ञ की राजनितिक मज़बूरी है कि वो उनके विरोध में नहीं बोल सकता,लेकिन मैं क्योकि राजनितिक निरपेक्ष हु इसलिए आप सभी को सच से सामना अवश्य करवाना चाहूंगा...

कितने झूले थे फ़ासी पर कितनो ने गोली खायी थी,
क्यों झूठ बोलते होसाहेब,की आजादी बस चरखे से आयी थी,

चढ़ गये न जाने कितने फ़ासी पर फिर भी उनके होठ मौन थे,
अगर आजादी बस गांधी लाये थे तो बताओ भगत सिंग कौन थे,

किस अंहिंसा की बात करते हो तुम,तुम्हारे एक निर्णय से सारा देश बरसो तक सिसका था,
ट्रेन भर कर आई थी लाशें,विभाजन पे जो लाखो का खून बहा  था बताओ वो खून  किसका था,

अगर अहिंसा के पुजारी को देश अगर इतना ही प्यारा था,
तो फिर उसने क्यों विभाजन स्वीकारा था,

2 अक्टूबर पर गर्व है मुझको इसलिए नहीं की इस दिन गांधी का जन्म हुआ,
ये महापर्व है क्योकि जय जवान जय किसान कहने वाले शास्त्री जी का अवतरण हुआ

कभी सोचिये, टटोलिये अपने आप को क्या इसी को इन्साफ कहते है,
भारतमाता को विभाजित करने वाले को आज हम देश का बाप कहते है,

विकाश खेमका
कांटाबांजी