Thursday, 23 February 2017

माँ


लेती नहीं दवाई "माँ",
जोड़े पाई-पाई "माँ"।

दुःख थे पर्वत, राई "माँ",
हारी नहीं लड़ाई "माँ"।

इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई "माँ"।

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई "माँ" ।

जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई "माँ" ।

बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई "माँ"।

बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई "माँ"।

बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई "माँ"।

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मां जी, मैया, माई, "माँ" ।

सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई  "माँ" ।

घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई "माँ"।

बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई "माँ" ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई "माँ"।

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई "माँ" ।

बेटी रहे ससुराल में खुश,
सब ज़ेवर दे आई "माँ"।

"माँ" से घर, घर लगता है,
घर में घुली, समाई "माँ" ।

बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाई "माँ" ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई "माँ"।

घर के शगुन सभी "माँ" से,
है घर की शहनाई "माँ"।

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराईll मां

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Thursday, 16 February 2017

तुझे चाँद कैसे कह दू...


हर कोई अपने प्रिय को एक प्यारा सा नाम देने की कोशिश करता है एक संबोधन जिसको सुन के मन में प्यार उमड़े, प्यार महसूस हो, मैंने भी ऐसे कुछ नाम सोचे और फिर कुछ सोच कर नहीं रखे, ऐसी ही कश्मकश को लेकर मेरी एक कविता समर्पित है मेरी पत्नी को,

तुझे चाँद कैसे कह दू,उसमे तो दाग है,
तुझे सूरज कैसे कह दू, उसमे तो आग है,

तुझे गुलाब कैसे कह दू उसको तो मुरझा जाना है एक दिन,
तुझको बहार कैसे कह दू उसको भी चले जाना है एक दिन

तुझे सितारा कैसे कह दू जो टिमटिमाता रहता है,
तुझे सावन कैसे कह दू जो सिर्फ एक महीने के लिए आता है,

तुझे दिल कैसे कह दू कोई भी पल भर में तोड़ जाता है
तुझे मेरा साया कैसे कह दू जो अंधेरे में साथ छोड़ जाता है,

तू मेरा दिल है, धड़कन है,आँखों में बसी तस्वीर है,
खुदा की मेहरबानी है कि तू मेरी तक़दीर है,

तू मेरी ख़ुशी है, तू मेरी मुस्कान है,
तेरे बिन अधूरे मेरे दिल के अरमान है,

तू जिंदगी,तू बंदगी,तू प्यार है,हमराज है,
ए हमसफ़र,तू हर ख़ुश,हर गम में मेरे साथ है,

तुझे किसी नाम से पुकारु ये सोचता रहता हूं,
तुझे क्या कह के निखारु ये सोचता रहता हूं,

तुम्हे ऐसा नाम दू की हर घड़ी साथ मेरा निभाओगे,
आओ तुम्हारा नाम *जिंदगी* रख दू,मौत से पहले तो न छूट पाओगे,

हां अपना ही मजा है

फिर वही मैं,फिर वही दुनिया,फिर वही खालीपन...
हां,थोड़ी सी तन्हाई है, मगर इसका भी अपना मजा है,

तुझको तलाशती आँखे,तुमको पाने की ख्वाहिशे,
हां,कुछ नहीं मिला,मगर इस मुफलिसी का भी अपना मजा है,

तेरे साथ किये कुछ वादे, तेरे साथ की जो कुछ बातें,
हां,वो पल अच्छा था, लेकिन उनको भुलाने का भी अपना मजा है,

वो तुझसे मिलने की तमन्ना,तेरे पास आने की चाहत,
हां,पूरी ना भी हुई,पर यु दूर जाने का भी अपना ही मजा है,

जो पूरे हो जाए वो ख्वाब कैसे,जो पूरी हो वो कैसी तमन्ना,
हाँ,सपने टूट गए, पर यु टूटे सपनो को सजाने का भी अपना ही मजा है,