Tuesday, 13 December 2016

लाइफ मंत्रा: हम इतने भी गरीब नहीं

http://www.globalrichlist.com/

कल मेरे एक मित्र Deepak Agrawal ने मुझे ये लिंक पोस्ट किया, इस लिंक में अगर आप अपनी वार्षिक आय डालते है तो ये बताता है कि आप आर्थिक आधार पर दुनिया में कहा ठहरते है, और आप कितने आमिर है, ये लिंक विश्व प्रसिद्द सामाजिक संस्था care द्वारा जारी किया गया है, इसका आधार पुरे विश्व से लिए हुए आयकर के आंकड़े और विभिन्न देशों द्वारा जारी किये गए उनका आर्थिक अनुमान है जिसके आधार पर आप अपनी सालाना आय के हिसाब से दुनिया में कितने आमिर है ये बताया जाता है, पूरी तौर पर अधिकारीक न होने पर भी ये बहुत विश्वशनीय लगता है, और साथ ही इसमें आपकी आय को लेकर कुछ आश्चर्यजनक और मन को छूने वाले कुछ आंकड़े भी पेश किये गए है,

इतने इंटरस्टिंग लिंक को देखकर मैंने भी वो लिंक खोला और उसमें अपनी अनुमानित वार्षिक आय डाली, तो मेरा जो आंकड़ा आया वो ये था कि मेरी आय विश्व के 91 % लोगो से अधिक है, मैं विश्व का लगभग 9 कारोडवां धनि व्यक्ति हु, साथ ही जो आंकड़े उसमे जो तथ्य पेश किये गए थे की जितना समय में मैं एक कोक पिने लायक पैसा कमाता हु उतना पैसा कमाने के लिए एक जिम्बाम्बवे के औसत नागरिक को 2 महीने लगते है, मेरे एक दिन की कमाई के लायक कमाने में घाना के एक व्यक्ति को लगभग 3 महीना लग जाता है, मेरी एक महीने की कमाई से सोमालिया जैसे देश में 8 डॉक्टरों की मासिक तनख्वाह दी जा सकती है, और इसके बाद इस विरोधाभास को मिटाने के लिए और इन गरीब देशों के गरीब जनता की मदद के लिए कुछ दान देने की अपील की गयी थी,

इन आंकड़ो से मुझे दो बातों का अहसास हुआ, पहला ये की ये बहुत मायने रखता है कि आप अपनी बात किस तरह से कहते है,आपकी बाते कहने का तरीका ये तय करता है कि आप सामने वाले को कैसा समझा सकते है, यदि आप की बात किसी के दिल तक असर करती है तो वो आपसे जरूर प्रभावित होगा,बस आपका तरिका दिल को छूने वाला होना चाहिए,इससे पहले भी कई संस्था दान के लिए अपील करती आयी है, लेकिन ये एक अलग तरिका है लोगो से अपील का ये तरिका दिल को छूता है, इस से एक बात स्पष्ट है कि आपका उद्देश्य नेक होने के साथ साथ आपका तारिका भी बहुत मायने रखता है,

दुसरा बात जो इस लिंक से मुझे सिखने को मिली की हमको जो जिंदगी मिली है वो इतनी भी ख़राब नहीं है,हम बेवजह ही उसमे नुक्स निकालने मे तुले हुए है,मैं भारत का एक आम निम्नमध्यमवर्गीय नागरिक होने के बाद भी विश्व के 91 % लोगो से ज्यादा कमाता हूँ मगर फिर भी मुझे अपने आप से अपने रहनसहन,अपने स्टेटस से तकलीफ है, मैं संतुष्ट नहीं हूं, और खुद को हिन् महसूस करता हूं,मैं जिस जिंदगी में नुक्स निकाल रहा हूँ वो जिंदगी जीने के लिए कई आदमि जिंदगी भर भगवान् से प्रार्थना करते हुए मर जाते है,मैं जिस आर्थिक परिस्थिति में रहने के लिए अपने आप को हिन् समझता हूँ वो दुनिया के 90% लोगो को हासिल नहीं है,ये बात बहुत गंभीर है,हम उस चीज को एन्जॉय नहीं करते जो हमारे पास है, हम उस चीज को मिस करते है जो हमारे पास नहीं है, और यही सभी दुखो का मूल कारण है,  बहुत पहले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी में एक बात कही थी की "गरीबी सिर्फ एक मानसिक अवस्था है और कुछ नहीं" और इसका बहुत विरोध हुआ था ये बात भले ही राजनितिक पहलु से गलत हो मगर दार्शनिकता की दृष्टि से बिलकुल सही है, हम अपनी आय से नहीं अपनी जरूरतों से आमिर या गरीब होते है,हमारी खुद की बनाई हुई जरुरते हमें आमिर या गरीब बनाती है, आप में से कौन ऐसा होगा जो 1 करोड़ के बदले अपना एक हाथ काट देना चाहेगा, कौन ऐसा होगा जो कुछ लाख रूपये के लिए अपने परिवार को मार देगा, अपने घर ,परिवार,समाज के मूल्य को हम।नहीं समझते,हम सिर्फ  आर्थिक आंकड़ो में अपने आपको इस तरह उलझाये रखते है कि बाकी आंकड़ो की तरफ अपना ध्यान ही नहीं जाता, हम उतने गरीब नहीं है जितना अपने आप को सोचते है, हम उससे कंही ज्यादा आमिर है,ये बात ध्यान देने की है कि हमारी सोच ही हमारी अमीरी और गरीबी का पैमाना है, हां आगे बढ़ने की सोच जरुर रखनी चाहिए,लेकिन मानवीय मूल्यों,अपने स्वास्थ्य,अपने परिवार, अपने मित्र और अपने समाज की कीमत पर ये तरक्की मुझे थोड़ी महँगी लगती है,

अपने हस्ते और खेलते बच्चे के साथ बिताया हुआ 2 मिनट किसी भी एंटरटेनमेंट पार्क में खर्च किये गए हजारो रूपये से ज्यादा कीमती है, आपकी पत्नी के साथ बिताया गया रोमांस का एक पल किसी भी मूल्य परखरीदे गए शारीरिक सुख से ज्यादा सुखदायीं है,आपके माँ बाप की सेवा में की गयी खर्कग किसी भी मंदिर बनाने के लिए दी गयी लाखों रूपये पर भारी है,आपके किसी भी पार्टी में खर्च गये गए लाखों रूपये आपके दोस्तों के साथ बिठाये गए माजक मस्ती के 2 पल के सामने कंही नहीं ठहरता, ये सब बातें आपने खुद महसूस की होंगे,

जिंदगी से हम जितनी शिकायत करते है जिंदगी उतनी बुरी भी नहीं है,बस अपना देखने का नजरिया है,हमारे पास क्या नहीं है उस को पाने के लिए हम उसको भी भूल जाते है की हमारे पास क्या है???

जो है उसको एन्जॉय करना सीखिये,जिस ख़ुशी की तलाश में आप इतना भटक रहे है वो आपके भीतर ही है,

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Tuesday, 6 December 2016

हम को आइना दिखा गयी नोटबंदी


मैंने कहा था *बैंक कर्मियों को इतनी जल्दी सैलूट मत मारो।*
*बेईमानी इस देश की रग-रग में..!*
इस देश में ईमानदार वही है जिसके टेबल पर पैसा नहीं है । जिनके टेबल पर पैसा नहीं वो सही टाइम पर ऑफिस छोड़ देते हैं, और वही जब टेबल पर माल आने लगता है तो 8 बजे शाम तक जनसेवा करते हैं।
इस देश में *पुलिस भ्रष्ट* तभी तक लगती है जब तक उनका बेटा दारोगा में भर्ती नही हुअा। इस देश में *टीचर तभी तक निट्ठले* लगते हैं जब तक उनकी बेटी टीचर नही बनी है।
बुरा न माने जैसे *जर्मन जन्म से ही योद्धा, जापानी जन्म से नियम मानने वाले, वैसे ही हम जन्म से भ्रष्ट होते है।*
भ्रष्टता हमारे ब्लड और संस्कार में ही है, ये मात्र कानून बनाने से नहीं जाने वाला।
एक नियम कानून एक का मुँह बंद करता है तो दूसरे प्यासे प्रतीक्षित का मुँह खोल देता है।
*एकलव्य के साथ नाइंसाफी* का रोना रोने वाले अपने *भीतर का द्रोण* नहीं देख पाते है।
*ज्वेलर्स* को 8 तारीख को मौका मिला उन्होंने खूब बनाया...
और-
अब *बैंक मैनेजर* की बारी है।
शायद-
कल किसी *इन्कम टैक्स* वाले की बारी हो।
हम *भारत माता की जय,*
आज़ादी... आज़ादी..
जय-भीम,
समाजवाद,
*लोहिया वाद की जय* बोलकर अपने अपने हिस्से का देश लुट रहे हैं।
कल तक महँगी प्याज होने पर लोग कहते थे की देश की करोडों जनता नमक-प्याज खाकर जीवन जीती है, और आज वही *गरीब-जनता* ना जाने कौन सा धन जमा कर रही है...????
नोट बंदी अपने उद्देश्य में सफल हो या असफल... इस बात पर तो मुहर लग गयी की 100 में 90 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान।
नहीं , नहीं मुझे कुछ अपवाद मत दिखाएँ। मैंने घर-घर में देखा है औरत जब 4 बच्चों को दूध देती है, तो-
अपने बेटे की गिलास में थोड़ी ही सही, पर *मलाई अधिक* डालती है।
भाई अपने सगे भाई को पुश्तैनी जमीन एक हाथ टुकड़ा भी अधिक देने को राजी नही होता।
कितना भी कमाओं पर नज़र बाप के पेंशन पर जरुर रहेगी कि-
*कहीं बेटी को कुछ दे तो नहीं रहे..?*
बुरा ना मानें...
इस देश में *बेईमानी की पहली पाठशाला ही परिवार* ही है।
हम चाहते की *लंगोट पहनने वाला गाँधी पड़ोस* में पैदा हो...
और-
अपने घर *गुलाब लगाने वाला नेहरु।*
11 लाख का कोट देखने वालों को अपने जन्मदिन पर करोड़ों देकर *सिने तरिकाअों का अपने पैतृक-गाँव में ठुमके* लगवाना नहीं दिखाई देगा... � � � �
इस देश में ही 42,000 ₹ का मोबाइल और 5,000 ₹ के स्वेटर पहनने वाले मुख्यमंत्री के पैर में चप्पल देखकर... आठ आठ आँसू रोकर ईमानदारी की दुहाई देने वाले पाखण्डी भी हैं।
पर-
सौ टके का सवाल ये *पाखंडी-मुर्दे* इतिहास नहीं मानते, JNU कैंपस में बनाते हैं।
फ्री सेक्स वाली सोसाइटी जहाँ वातानुकूलित कमरे में बैठ कर *ट्विटर पर मजदूर दिवस* की बधाई दी जाती है।
वास्तव में जब मैं कहता हूँ कि-
*आज़ादी हम पर थोपी गयी थी हम आजाद होने लायक नहीं थे..!*
तो आपको बुरा लगता है....??
पर-
उस *हावड़ा-पुल* को बुरा नहीं लगता है जो बना तो था अंग्रेजों के समय और आज भी चल रहा है। ये देखकर की सादी साड़ी में *सादगी का ढोंग रचने वाली दीदी* के शहर का पुल कैसे अल्पायु में भरभरा कर गिर जाता है....???
� �
भरभरा रहा मनुष्य ऐसे ही इस देश में सदियों से । वैसे किताबें तो खूब लिखी गयी पर *किताबें जीवन में उतरी* हैं क्या...??
ये देश शराब को नापाक हराम कहके अफीम/गाँजा पीने वालों का देश है।
अपनी *बहनों को सात तालों में छुपा* कर.. *दूसरों की बेटी बहनों को घूरने* (X-Ray करने) वाला देश है।
इस देश के *रग रग में भ्रष्टता है,* चाहे वो नोट बंदी में चीखे या न चीखे...
बस-
मुझे *एक ही ईमानदार* दिखाई दे रहा है...
और-
इस कुरुक्षेत्र में वो है *बर्बरीक*...
जिसने....
अपने ही हाथों अपनी गर्दन काटकर *(भ्रष्टाचार मुक्त करने का संकल्प लेकर)* खूब तमाशा देख रहा है...
उस बर्बरीक ने *सबको नंगा करके रख दिया है*....
गैरों को....
अपनों को....
मुझको, आपको....
सबको...
*वंदोमातरम्..

ये लेख मुझे फेसबुक पर मिला, इसका मूल लेखक को मेरा प्रणाम, बहुत अच्छा लगा इस लिए शेयर कर रहा हूँ

मेरे ब्लॉग आप vikashkhemka.blogspot.com पर पढ़ सकते है

Monday, 5 December 2016

अम्मा का निधन- तामिलनाडु के एक युग का अंत

अम्मा  का निधन - तमिलनाडु के लिए एक युग का अंत

कल दिन भर अगर कोई खबर सुर्खियों में रही तो वो तामिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के स्वास्थ्य की खबर थी,जिसको ले कर बहुत कयास लगाए जा रहे थे,अपने खराब स्वास्थ्य के चलते वो कई दिनों से बीमार थी और उनकी हालात गंभीर बनी हुई थी,एक मुख्यमंत्री का गंभीर तौर पर बीमार होना और और दिल का।दौरा पढ़ना एक ब्रेकिंग न्यूज़ होती है ,मगर जिस तरह सभी टीवी चैनलों में पल पल की खबर चलाइ जा रही थी, वो जयललिता के कद को बताने के लिए काफी है,

तामिलनाडु वो राज्य है जहां के लोग किसी भी चीज के लिए दीवानगी की हद तक पागल है,एक अच्छी साक्षरता दर के बावजुद वहां व्यक्ति को भगवान् की हद तक पूजा जाता है,चाहें एनटीआर हो,रजनीकांत हो,या अभिनेत्री खुशबु जिनको तामिलनाडु के बाहर कोई ठीक से जानता भी नहीं मगर तामिलनाडु में बाकायदा इनके मंदिर है, तामिलनाडु वो राज्य है जहां आम जनता काफी हद तक फ़िल्मी पात्रों से प्रेरित है, एक ऐसा राज्य जहा जो अपनी राज्य और राज्यभाषा के प्रति इतना समर्पित है कि वहां अक्सर लिखा हुआ होता है,की " भगवान् को भी तामिलनाडु छोड़ देना चाहिए अगर उन्हें तमिल नहीं आती है," देश में साम्प्रदायिक कट्टरता की तरह तामिलनाडु में भाषाई कट्टरता है, हर क्ष्रेत्र में तामिलनाडु में अतिवाद है,जो भी कार्य करते है हद तक करते है, उस प्रदेश में लोग किसी भी चीज या व्यक्ति से दिल से सोचते है दिमाग से नहीं,

मोदी लहर के बाद भी भाजपा तामिलनाडु में साधारण प्रदेर्शन कर सकी तो इसका एक कारण जयललिता थी, एक अभिनेत्री से प्रदेश की सर्वेसर्वा तक उन्हकी बनाने की कहानी उनकी रील लाइफ की तरह काम ड्रामेटिक नहीं थी, उनकी प्रसिद्धि इतनी थी की वो एक नाम नहीं एक ब्रांड थी, उनकी मौत का आधिकारिक समय कल रात 11:30 बजे का बताया जा रहा है जबको कई तव् चैनलों में इसकी 6 बजे खबर आ गई थी, ये एक ओपन सीक्रेट की तरह था,इस खबर को सिर्फ इसलिए छुपाया गया,ताकि लोगो की भावनाएं आहत न् हो,और भड़के न, और सरकार इस खबर को देर से प्रसारित कर अपनी व्यवस्था बनाने के लिए समय बना ले,

कोई शख्शियत अगर इतनी बड़ी है कि उसके अनिष्ट की आशंका से दंगे जैसे हालात है तो निश्चय ही उसमे कोई बात रही होगी, तामिलनाडु में एक बार फिर से ऐन टी आर के इतिहास की पुनरावृत्ति हुई है,तामिलनाडु का इतिहास हमेशा फिल्मप्रेरीत रहा है, और वह की राजनीती भी इससे अछूती नहीं रही है, एन टी आर ने एक फिल्म में राम की भूमिका निभाई तो उन्हें राम मानकर पूजा जाने लगा, और जब वो राजनीती में आये तो जनता ने उन्हें रामराज्य की परिकल्पना में हाथो हाथ लिया, मगर जयललिता के प्रति लोगों की दीवानगी इस लिए भी मायने रखती है क्योकी इन टी आर और जयललिता के शासन काल में 30 वर्र्षो का अंतर है और पीढियां काफी कुछ बुध्दिजीवी हुई है इस 3 दशकों में, और अभी भी अगर जयललिता के लिए लोगो में इतनी हद दीवानगी है,तो उनकी बुलंद शख्शियत की देन है,

उनको भावभीनी  श्रद्धांजली,

तामिलनाडु में एक ब्रांड का अंत हुआ,अब देखना ये है कि तामिलनाडु की जनता aiadmk को पसंद करती थी या सिर्फ जयललिता को, ?? भविष्य ही इन प्रश्नों का उत्तर ले कर आएगा,!!

💐💐💐💐

Friday, 2 December 2016

Non Democratik Teli Vision

थोथी निरपेक्षता,छद्म बुध्दिजीवी और कट्टर सेकुलरो का समूह :  Non Democratic Teli Vision ,  

आज देश के लिए सबसे ज्यादा चिंतित एलेक्ट्रोनिक मीडिया टीवी चैनल पर (नाम मत पूछना  ) पर एक छद्म बुद्धिजीवियों की बहस सुन रहा था, जहा देश में थोपी गयी राष्ट्रवाद के सिद्धांतों पर चर्चा हो रही थी,अगर उस चैनल का कहा सच मान लिया जाये  तो ऐसा लग रहा था कि भारत सही में असहिष्णु हो गया है, देश में राष्ट्रवादिता के नाम पर तानाशाही रैवैया थोपा गया है,

ये सब् उस टीवी चैनल पर चल रहा था जिस पर राष्ट्रविरोधी खबरें दिखाने के लिए एक दिन का बैन लगा था,वो चैनल जिसे " भारत तेरे टुकड़े होंगे" जैसे नारे सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी लगते है,वो टीवी चैनल जिस में की आम जनता  सिर्फ पिछले ढाई साल से ही परेशान है, ये वही चैनल है जिसके समर्थक बड़ी बिंदी वाली गैग की महिलाएं है,इस चैनल में सिनेमा में राष्ट्रगान की बाध्यता पर सवाल खडे किये जाते है,इस चैनल को हर राष्ट्रवादी फैसले में साम्प्रदायिकता नजर आती है, जिस फैसले से सिर्फ कुछ शांतिवादी समुदाय(??) का भला न् हो वो इन्हें धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार लगता है, जहा सिर्फ धर्मनिरपेक्ष वही है जो इस देश में बहुसख्यको को गाली दे सके,

अपनी इसी तरह की देश के प्रति समर्पित(????) गतिविधियों की वजह से आज कल इस चैनल की trp बहुत जोरो पर है, ये बात एक बार फिर से प्रमाणित हुई है कि विरोध ही चर्चा में बने रहने का जरिया है, पहले पक्ष और विपक्ष सिर्फ सत्ता में होते थे,अब मीडिया में भी होते है, आप एक ही खबर दो अलग अलग टीवी चैनलों पर देखिये आपको भ्रम होने लगेगा कि शायद आप ने कुछ देर पहले जो देखा था वो कोई दुसरी ही दुनिया की ख़बर थी,

किसी भी मुद्दे पर किस् तरह से नकारात्मक  परिचर्चा का आयोजन किया जाए ये उस "कथित सेकुलर" चैनल की विशेषता है, मुझे आज उस चैनल पर राष्ट्रवादीता पर बहस सुनकर उस मक्खी का ध्यान आया जो हमेशा साफ़ सुथरे फर्श को छोड़ कर गन्दगी तलाश कर उस पर जा कर बैठती है,उस चैनल पर लोग लाइन में मर रहे है,अर्थव्यवस्था मर रही है, फैसले बर्बाद हो रही है,देश में दंगे बस भड़कने ही वाले है, देश में तानाशाही चल रही है, धर्मनिरपेक्षता ख़त्म हो गई है, साम्प्रदायिकता हावी है, देश अशहिष्णु है, और प्रधानमंत्री सूटबुट वाला है, फेकू है, खाकी निकर वालो के निर्देश पर चलता है, देश भगवा आतंकवाद की गिरफ्त में है, कुल मिला कर लोकतंत्र खतरे में है,

देश को जातपात के दलदल में धकेलने वाले इस चैनल के पसंदीदा मेहमान है, देश की वामपंथ और मार्क्सवादी विचार धारा जिसने कभी देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता को आज  उद्योगिक घरानों के लिए अपने छदम मजदुरबाद से  अछूत बना दिया है, उन वामपंथियों की सोच से प्रभावित ये चैनल आज बता रहा है कि आज राष्ट्र को राष्ट्रवाद से ख़तरा है, देश में आरक्षण और जातपात का झूठा विरोध इनका पसंदीदा शगल है, ये अपने वातानुकूलित  स्टूडियो में बैठकर आरक्षण और जातिवाद का विरोध करते है मगर कभी उन रक्तबीज राजनितिक अवसरवादीयो का विरोध नहीं करते जहा से ये बीमारी बार बार पनपती है,

इसी चैनल में बताया गया था कि  नक्सलबाद  और आतंकवाद का मुंख्य कारण सरकार की राष्ट्रविरोधी नीतियां है, आज आज पिछले 20 दिनों से जब 1000 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर देते है,तो इस चैनल पर कोई खबर नहीं बनती, ये चैनल धृतराष्ट की  तरह निरपेक्ष है, जो बताता है कि दिल्ली में एक  राजनितिक दल की  विजय  का कारण जनता का आक्रोश है,वंही देश में एक राजनयिक दल की विजय का कारण जनता  को बरगलाया जाना है,

इस चैनल में शहीदों की चर्चा नहीं की जाती हां सैनिकों के बहादुरी के साबुत अवश्य मांगे जाते है, घाटी में पत्थर खाते जवानो से ज्यादा इन्हें पथराव कर कर "भटके हुए नौजवानों"  पर पेलेट गन का उपयोग परेशान करता है,  फिर भी इस्  देश हित(??) और राष्ट्रभक्ति(??) से परिपूर्ण  इस चैनल के द्वारा विधवा विलाप ही ख़त्म नहीं हो रहा है कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की आवाज को दबाया जा रहा है,

इन छद्म देशभक्तों को भी "डॉनल्ड ट्रम्प" जैसा दो टूक बोलने वाला नेता चाहिए जो इनको ईनको इनकी औकात का एहसास कराये, की मीडिया की आजादी है कि वो खबर दिखाये खबर बनाये नहीं,

नॉट- ये सारी बाते एक भक्त द्वारा लिखी गई है,आप आराम से देखते रहिये, Non Democratic Teli Vision, Bharat

शास्त्रीय ज्ञान बनाम व्यवहारिक सत्य

शास्त्रीय ज्ञान बनाम व्यवहारिक सत्य,

भारत आध्यत्मिक मान्यताओं का देश है,इस की संनातन संस्कृति में अनेकों वेद,ग्रन्थ और शास्त्र लिखे गए है जो की सदियों से हमारे जीवन का आधार रहे है, पौराणिक काल से ही चाहे गीता का सार  हो या वैदिक ज्ञान हमें एक सफल और आदर्श जीवन के लिए प्रेरित करता रहा है, मगर क्योकि समय परिवर्तन शील है तो इस वैदिक ज्ञान के सामने समाज के कई उदाहरणों में चाणक्य का राजनितिक ज्ञान या इसी तरह की व्यवहारिक ज्ञान भारी पड़ता नजर आता है,

साधारणतः हम सभी यही मानते है कि शास्त्रों में लिखा गया अक्षरसः सत्य है,मगर इसमें से हम सिर्फ उतना ही पालन करते है जितना पालन करने में हमें असुविधा न् हो,इस परस्पर विरोधाभास के कारण मुझे महसूस हुआ की आज कल कुछ मान्यताएं बदल गई है, किताबो का ज्ञान सत्य के धरातल पर झूठा साबित हो रहा है ऐसे ही कुछ मान्यताओं के मानने में कैसे लोगो की सोच बदली है उस को आप के सामने रख रहा हु, मैंने कुछ सनातन सत्य और उनके व्यवहारिकता का विश्लेषण किया है,

सनातन सत्य बनाम व्यवहारिकता,

सदा सच बोलो- समय देखकर सच बोलो,सच कड़वा होता है,लोग कड़वे सच से ज्यादा मीठा झूठ सुनना पसंद करते है,जिस झूठ से किसी का फायदा होता हो उसे बोलने में कोई हर्ज नहीं,

ईमानदार बनो- सिर्फ इतने ईमानदार बनो की जितने में आप बेईमान नजर ना आओ,

कर्म करो फल की इच्छा मत करो- जब तक फल न् मिले कर्म को कोई आदर नहीं करता, भगवान आपको आपके प्रयासों से मान देता है दुनिया आपको आपके नतीजे से पहचानती है,

विद्वान सर्वत्र पूज्यते- धन आपको जितना मान दिलाता है उतना मान कोई नहीं दिला सकता, भले ही वो क्षणिक हो,हर कोई आपसे इसलिए जुड़ना चाहता है कि आपसे कुछ लाभ ले सके,

दोस्ती में सब बराबर होते है- दोस्ती में समय, मौक़ा, सामर्थ्य ओहदा और काबिलियत देखकर सबको अलग अलग मान ढिया जाता है,

नियम सबके लिए बराबर होते है -नियम तोड़ने के लिए ही बनाये जाते है, नियम चेहरा देखकर बदलते है, मुह देखकर टीका किया जाता है,

संमाजिक चुनाव संमाजिक तरीके से लडे जाने चाहिए- प्यार,युद्ध और चुनाव में सभी कुछ जायज है,जीत किसी भी तरह हो जीत होती है,

पैसा भगवान् नहीं है - पैसा भगवन से कम भी नहीं है, आप पैसे को हर जगह साथ नहीं ले जा सकते मगर कई ऐसी जगह है जहां सिर्फ पैसा आपको अपने साथ ले जा सकता है,

प्यार का मापदंड त्याग है,- प्यार का मापदंड स्वार्थ है जिसके लिए आप जितने फायदेमंद हो वो आपसे उतना प्यार करता है,

आपकी वास्तविक सुंदरता आपका तन नही आपका मन है - आपकी शारीरिक सुंदरता आपकी मानसिक सुंदरता से ज्यादा मायने रखती है क्योंकि दुनिया में ज्यादातर लोग मुर्ख है अंधे नहीं,

आप प्यार से किसी को भी सुधार सकते है- व्यक्ति सिर्फ डर से सुधरता है वरना हम सिर्फ ये नाटक करते है कि हम सुधर जाएग

नेकी कर दरिया में डाल- कुछ भी कर फेसबुक में डाल,अपने कार्य का प्रचार करे

संमाजिक कार्य मन की संतुष्टि के लिए किये जाते है,- संमाजिक कार्य अपने अहम की संतुष्टि के लिए किये जाते है,

हम धार्मिक है हम भगवान् से प्रेम करते है,- हम अन्धविश्वासी है हम भगवान् से डरते है,

धीरे बोलो,मीठा बोलो-- जोर से बोलकर अपने झूठ को भी सच साबित किया जा सकता है,

सबका संम्मान करे- किसी का सिर्फ इतना ही सम्मान करे की स्वयं का संम्मान कम् न् हो

व्यसन एक संमाजिक बुराई है,- व्यसन अपने साथ लोगो को बहुत जल्द और बहुत दृढ ढंग से जोड़ने का एक जरिया है,

सफलता का रहस्य मेहनत और लगन है- सफलता का रहस्य जुगाड़ है,

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