सफलता की कीमत,
सफल होना कोई आसान बात नहीं है,ये एक साधना है जिसे साधने के लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है,बिना कुछ खोये कुछ नहीं मिलता ,हर सफलता की एक कीमत होती है,
आप अपने बच्चे का भविष्य,उनकी आदते,उनका करियर खुद बनाते है,बच्चों की सफलता या असफलता की जिम्मेदारी अक्सर माँ बाप की होती है, मगर बच्चों की सफलता के मायने क्या है, उसका माप दंड क्या है??, क्या स्कूल में पढ़ लिख कर फर्स्ट आना सफलता है,इस के लिए सब कुछ त्याग देना सफलता है,
सबकी अपनी अपनी जिंदगी है अपने अपने अपने मायने है,
मैं ये पसंद करूँगा की एक दिन स्कूल में कम उपस्थित रह कर मेरा बच्चा स्कुल में 1%मार्क कम ले आये मगर उस दिन अगर कोई फॅमिली पिकनिक हो तो उसे अटेंड जरूर करे,आज हम बच्चों को पढने के मशीन बना रहे है उनमे भावनाए भरना भूल जाते है,खुद महसूस कर के देखिये की आज आप को अपने स्कुल की अपनी मार्कशीट उतना मजा नहीं देती जितना परिवार या दोस्तों के साथ बिताये हुए पिकनिक या साथ के पल की यादे मजा देती है,
अपने बच्चों को जुझारू बनाना, उन्हें पढने के लिए प्रेरित करना बहुत अच्छी बात है मगर इसके लिए आप उनसे क्या कीमत ले रहे है ये बहुत मायने रखता है,पारिवारिक मूल्य, संपर्क,सामाजिकता,और उनके स्वास्थ्य की कीमत पर ये सफलता बहुत महगी है,
एक बहुत ही बारीक लकीर है सफलता और ख़ुशी के बिच,आप किस तरफ खड़े है ये खुद निर्णय कीजिये,
सही सफलता बहुत कुछ एक चम्मच दौड़ की तरह है ,स्कुल में जिस तरह हमें चम्मच दौड़ में मुह में चम्मच रख कर इसमें एक कंचा रखा कर दौड़ना होता था,और एक लकीर पार करनी होती थी,अगर हम लकीर पार कर भी लेते मगर चम्मच से कंचा गिर जता तो हम जित कर भी हारे हुए माने जाते थे,
उसी तरह अगर आपके बच्चे सफलता को पारिवारिक मूल्यों,और सामाजिकता को ताक में रख कर स्कुल में फर्स्ट आ जाते है तो मेरे हिसाब से ये आप जित कर हार गए,
आपकी बेटी अपनी बीमार माँ को बुखार में तड़पता छोड़ कर अगर 1 दिन स्कूल अटेंड कर भी लेती है तो क्या उसका पढाई के प्रति ये समर्पण आपको बहुत पसंद आएगा,
हम कोई प्रोग्राम किये हुए कम्प्यूटर नहीं हाड़-मांस से बने हुए इंसान है जो करंट से नहीं भावनाओ से संचलित होते है,
सफलता की कीमत भावनाशून्य या भवनाविहीन होना मेरे लिए तो महंगा है,
खैर सही और गलत तो सिर्फ गणित में होता है,हर इंसान अपने हिसाब से सही ही है,
मैं अपनी भावना लिख रहा हु,क्या पता शायद मैं ही गलत हु,
मैंने ये निर्णय लिया है की मैं अपने बच्चे को एक सफल नहीं एक काबिल इंसान बनाना चाहता हु,मैं चाहता हु की वो एक पारिपारिक मूल्यों का पालन करने वाला,सामजिक,जीवन के हर क्षेत्र में परिस्थितियों का मुकाबला करने वाला,और कभी न हारने वाला इंसान बने चाहे इस के लिए उसके मार्क्स 5 % कम क्यों न हो जाए,
हो सकते है मेरी बाते थोड़ी अप्राकृतिक और भारी लगे,कागजी लगे मगर मेरी फिलहाल यही सोच है और कल किसने देखा है???
क्या पता शायद मेरी ये मेरी भूल हो,
मगर एक बार मेरी सोच से सोच कर जरूर देखिये,...
इसी तरह के
मेरी और भी विषयो पर मेरे विचार पढ़ने के लिए लोग इन करे http://vikashkhemka.blogspot.com