सिर्फ अपने कैरियर या बिज़नस ऐ जुड़े लक्ष्य निर्धारित न करे,बल्कि अपनी जिंदगी में सामाजिक,पारिवारिज और व्यवहारिक चीजो के साथ सामन्जस्य बैठा कर अपना लक्ष्य निर्धरित करे,
सिर्फ आर्थिक लक्ष्य को हासिल कर लेना प्रगति नहीं,आपके प्रमोशन वाले दिन आगर आपका ब्रेक अप हो जाता है तो प्रमोशन का क्या मतलब है,अगर आपकी नयी गाडी की सीट में बैठने से आपको पीठ दर्द होता है तो क्या लाभ,जिंदगी को इतना सीरियस लेने की कोई जरुरत नहीं है यहाँ से ज़िंदा बच कर कोई नहीं जाएगा,हमारे पास अभी के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा 50 साल या सिर्फ 2500 हफ्ता जिएंगे
हम यहाँ एक प्रीपेड कार्ड की तरह है जिसकी वैलिडिटी से पहले हमें इसको उपयोग करना सीखना होगा,
कभी कॉलेज से एकाध क्लास बंक कर के भी देखिये,कभी अपनी पत्नी से छोटा मोटा झगड़ा कर के देखिये,कभी अपने बचचों के साथ खेल कर भी देखिये,किसी से प्यार कर के देखिये
आज से 25 साल बाद कालेज की डिग्रियां,या कमाया हुआ पैसा इतना मजा नहीं देगा,जितना मजा कालेज बंक की हुई क्लास क्लास की और बच्चों के साथ बिठाये हुए पल की यादे देंगी,
हम कोई प्रोग्राम किये हुए कंप्यूटर नहीं है,भावनाओ से संचालिक होने वाले इंसान है,
उन्नति बहुत जरुरी है मगर हर क्षेत्र् में संतुलन ज्यादा जरूरी है,
जिंदगी तो आपकी जिंदगी भर मजे लेगी,कभी आप भी जिंदगी के मजे लेकर देखिये
रतन टाटा द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए व्याख्यान का हिंदी अनुवाद,
सुप्रभात्
मेरी और भी विषयो पर मेरे विचार पढ़ने के लिए लोग इन करे http://vikashkhemka.blogspot.com
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