Saturday, 27 December 2014

एक विनती अपने समाज से

मारवाड़ी समाज हमेशा से ही धन का श्रोत रहा है
श्री लष्मी जी कीे मरवाड़ी समाज पर विशेष कृपा रही है क्योकि मारवाड़ी समाज प्रारम्भ से ही परिश्रमी दृढ संकल्प और अपने कार्य के प्रति समर्पित रहा है
आज भी देश के व्यवसाय में एक बड़ी संख्या मारवाड़ियों की है

कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य ये है की हम सुरुवात से ही लष्मीपुत्र है

देश के कोने कोने में हम बसे है
देश के कोई ऐसा कोना नहीं जहा कोई मारवाड़ी भाई न रहता हो
हमारे सहनशक्ति उद्यम विपरीत परिस्थियों में भी कार्य करने की क्षमता के कारन देश के हर कोने में हमारी समृद्धि का डंका बजता है

और हमने ही देश में अनेक गौशाला धर्मशाला मंदिर और पानी प्याऊ इत्यादि बनाकर विशेष रूप से सामाजिकता और सहृदयता का परिचय दिया है

अगर कोई मारवाड़ी धन कमाने के लिए जाना जाता है तो दान देने के लिए भी जाना जाता है

मगर पिछले कुछ वर्षो से मैं महसुस कर रहा हु की आज मारवाड़ी समाज में ज्यदातर लोग झुठे विज्ञापनो के प्रलोभन झूठी शान  और दिखावे की खातिर अपने रहन में बहुत ही ज्यादा खर्च करते हुए दान की परंपरा से दूर होते जा रहे है

हम भामाशाह के वंसज अपने मूल दान धर्म को भूल कर सिर्फ दिखावे और पतन की और अग्रसर हो रहे है

विवाह और अनेक शुभ अवसरों पर हमारे  फालतू खर्च बढ़ते ही जा रहे है
विवाह में भोजन और नाना प्रकार के आडंबर कर के हम अपनी आप को अर्थ दंड तो देते है है साथ ही समाज को बांटते भी है

हम अनजाने में ही अपने और अपने से छोटे वर्ग के लोगो में हिन् भावना का संचार करते है

आलिशान शादियों
फिजूल खर्च
दूसरे दिन  गंज भर कर पड़े हुए  अन्न के अपमान पर हमें  शर्म नहीं आती

क्या यही हमारी संस्कृति है
मै तो हमारी वो संस्कृति से परिचित था जहा अन्न को अनापूर्ना देवी माना जाता है

कृपया इस विषय में ध्यान दे

की हम पुरखो से चली आरही अग्र वंश के गर्व को नष्ट करने की और अग्रसर न हो।

अपने घर की आलीशान शादियो
बजाय किसी जरुरत मंद को मदद पहुचे तो क्या ये ज्यादा तर्क सांगत और ज्यादा न्याय सांगत नहीं होगा

मेरी आपसे विनती है की आप अपने कार्याकाल में इस सामाजिक कुप्रथा  के विरोध में कुछ कदम उठाये

ये एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है जिस पर हमारी आने पीढ़ियों का सामजिक परिदृश्य निर्भर करता ह की हम अपने आने वाली नस्ल को किस परिवेश में देखना चाहते है

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विस्वाश है की आप इस  सामजिक पतन के मुद्दे को हल करने में अपने विवेक और अनुभव का पूरा इतेमाल करेंगे।

और अपने आने वाले इस तरह के आयोजन में झूठे आडंबरो को तिलांजलि देकर एक स्वस्थ और नयी परमपरा की सुरुआत करेंग

धन्यवाद।े

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