Monday, 21 October 2019

कुछ सच

वही सीमेंट, वही रेत, उसी पानी से तैयार हो गई,
जिससे पुल बना करते थे उसी से आज खड़ी दिवार  हो गई,

बीमार माँ को घर पर छोड़ आया वो अकेला,
माताँ रानी के मंदिर के सामने कतार हो गयी,

भूख से तड़पता वो बच्चा कब का मर गया,
उसकी तस्वीर आज कल रौनक-ए-अख़बार हो गई,

उसके सिगरेट के धुएं ने न जाने कितनों को मारा होगा,
उसके मालिक ने केन्सर हॉस्पिटल बनाया तो जय जयकार हो गई,

बड़े शौक से उसने पंडित जिमाये श्राद्ध में बहुत
उसके माँ बाप की जिंदगी वृद्धाश्रम में खाकसार हो गई,

आज उनके बच्चो को कान्वेंट स्कूल में देखता हूं
जिनके जिहाद के कारण जन्नत आज उजड़ा बाजार हो गई,

खबर सुनी की एक कन्या भ्रूण को फिर से कुत्ता चबा गया,
दोष कुत्ते का नहीं ये तो इंसानियत शर्मशार हो गयी,

कभी जात पात कभी नोंट, कभी अपनी सुविधा को देख कर वोट दिया जिन्होंने,
आज वही कहते की राजनीति आजकल बेकार हो गई,

कोई बात नहीं एक और सुकून ए जिंदगी मांगेंगे खुदा से
ये जिंदगी तो आपसी झगड़ो में ही बलिहार हो गई,

Sunday, 20 October 2019

कैमरा कंही देखो तो मुस्करा दिया करो

सभी कुर्सीप्रेमी/बुकेप्रेमी/शालप्रेमी/पदप्रेमी/सम्मानप्रेमी  स्वजनों को खेद सहित समर्पित

कैमरा अगर देखो तो मुस्करा दिया करो,
बार बार अपने अहसान गिना दिया करो,

बहूत छोटी है याददाश्त लोगो की यहाँ,
खुद को लगातार अखबारों में छपा लिया करो,

आखिर तुमने खर्चे है पैसे इन कुर्सियों के लिए,
अपना हक भी इन पर जता दिया करो,

चर्चा में रहना बहुत जरूरी है आजकल,
चाहे इसके लिए खुद का घर जला लिया करो,

क्या करोगए इतने दोस्त और रहनुमा बनाकर,
बुराई हर किसी की उसके मुंह पर बता दिया करो,

कदर बढ़ती है इसलिए कुछ नाराजगी पालो करो,
हर छोटी मोटी बात पर चेहरे बना लिया करो,

ये परवाह मत करो की कबीले का क्या होगा,
कोई नाराज हो चाहे अपना कद कबिले में तुम बढा लिया करो,

खुद का अहम पूरा हो ये बहुत जरूरी है
चाहे इसके लिए संगठन को झुका लिया करो,

लोग तुम्हे नजर उठा कर देखे ये बरकरार रहे,
चाहे इसके लिए खुद को अपनी नजरो से गिरा लिया करो,

कैमरा  कभी देखो तो मुस्करा लिया करो
कैमरा कभी देखो तो मुस्कुरा लिया करो

धन्यवाद